Ajj Da Hukamnama Sahib Sri Darbar Sahib Amritsar Sahib, Harmandir Sahib Goldentemple, Morning Mukhwak, Date:- 14-03-21, Ang. 678
Hukamnama in Hindi With Meanings
धनासरी महला ५ ॥ जिनि तुम भेजे तिनहि बुलाए सुख सहज सेती घरि आउ ॥ अनद मंगल गुन गाउ सहज धुनि निहचल राजु कमाउ ॥१॥ तुम घरि आवहु मेरे मीत ॥ तुमरे दोखी हरि आपि निवारे अपदा भई बितीत ॥ रहाउ ॥ प्रगट कीने प्रभ करनेहारे नासन भाजन थाके ॥ घरि मंगल वाजहि नित वाजे अपुनै खसमि निवाजे ॥२॥ असथिर रहहु डोलहु मत कबहू गुर कै बचनि अधारि ॥ जै जै कारु सगल भू मंडल मुख ऊजल दरबार ॥३॥ जिन के जीअ तिनै ही फेरे आपे भइआ सहाई ॥ अचरजु कीआ करनैहारै नानक सचु वडिआई ॥४॥४॥२८॥ {पन्ना 678}
पद्अर्थ: जिनि = जिस (परमात्मा) ने। तुम = तुझे (हे जिंदे!)। तिनहि = उसी ने ही। बुलाऐ = (अपनी ओर) प्रेरणा की है। सहज सेती = आत्मिक अडोलता से। घरि = धर में, हृदय में, स्वै स्वरूप में। आउ = आ, टिका रह। मंगल = खुशी। धुनि = रौं। निहचल राजु = अटॅल हुकम।1।
मेरे गीत = हे मेरे मित्र! दोखी = (कामादिक) वैरी। निवारे = दूर कर दिए हैं। अपदा = मुसीबत। रहाउ।
करनेहार = सब कुछ कर सकने वाले ने। नासन भाजन = भटकना। घरि = हृदय में। वाजहि = बजते हैं। खसमि = पति ने। निवाजे = आदर मान दिया।2।
कबहू = कभी भी। कै बचनि = के वचन में। कै अधारि = के आसरे में। जै जै कारु = शोभा। भू मण्डल = सृष्टि। ऊजल = रौशन।3।
जिस के = जिस प्रभू जी के (शब्द ‘जिन’ बहुवचन है, आदर सत्कार के रूप में बरता गया है। जैसे, ‘प्रभ जी बसहि साध की रसना’)। जीअ = (शब्द ‘जीव’ का बहुवचन) सारे जीव। फेरे = चक्कर। सहाई = मददगार। अचरजु = अनोखा खेल। सचु = सदा स्थिर।4।
अर्थ: मेरे मित्र (मन)! (अब) तू हृदय-घर में टिका रह (आ जा)। परमात्मा ने खुद ही (कामादिक) तेरे वैरी दूर कर दिए हैं, (कामादिक वैरियों से पड़ रही मार की) विपदा (अब) समाप्त हो गई है। रहाउ।
(हे मेरी जिंदे!) जिसने तुझे (संसार में) भेजा है, उसने तुझे अपनी ओर प्रेरित करना आरम्भ किया हुआ है, तू आनंद से आत्मिक अडोलता से हृदय-घर में टिका रह। हे जिंदे! आत्मिक अडोलता की रौंअ में, आनंद-खुशी पैदा करने वाले हरी-गुण गाया कर (इस तरह कामादिक वैरियों पर) अटल राज कर।1।
(हे मेरी जिंदे!) सब कुछ कर सकने वाले पति-प्रभू ने जिन पर मेहर की, उनके अंदर उसने अपना आप प्रगट कर दिया, उनकी भटकनें खत्म हो गई, उनके हृदय-घर में आत्मिक आनंद के (मानो) बाजे सदा बजने लग जाते हैं।2।
(हे जिंदे!) गुरू के उपदेश पर चल के, गुरू के आसरे रह के, तू भी (कामादिक वैरियों की टक्कर में) मजबूती से खड़ा हो जा, देखना, कभी भी डोलना नहीं। सारी सृष्टि में शोभा होगी, प्रभू की हजूरी में तेरा मुँह उज्जवल होगा।3।
हे नानक! जिस प्रभू जी ने जीव पैदा किए हुए हैं, वह स्वयं ही इनको (विकारों से) बचाता है, वह खुद ही मददगार बनता है। सब कुछ कर सकने वाले परमात्मा ने ये अनोखी खेल बना दी है, उसकी महिमा सदा कायम रहने वाली है।4।4।28।
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