Today Hukamnama Sri Darbar Sahib Amritsar Sahib, Harmandir Sahib Goldentemple, Morning Mukhwak, Date:- 23-01-21, Ang. 641
Hukamnama in Hindi With Meanings
सोरठि महला ५ घरु २ असटपदीआ ੴ सतिगुर प्रसादि ॥ पाठु पड़िओ अरु बेदु बीचारिओ निवलि भुअंगम साधे ॥ पंच जना सिउ संगु न छुटकिओ अधिक अह्मबुधि बाधे ॥१॥ पिआरे इन बिधि मिलणु न जाई मै कीए करम अनेका ॥ हारि परिओ सुआमी कै दुआरै दीजै बुधि बिबेका ॥ रहाउ ॥ मोनि भइओ करपाती रहिओ नगन फिरिओ बन माही ॥ तट तीरथ सभ धरती भ्रमिओ दुबिधा छुटकै नाही ॥२॥ मन कामना तीरथ जाइ बसिओ सिरि करवत धराए ॥ मन की मैलु न उतरै इह बिधि जे लख जतन कराए ॥३॥ कनिक कामिनी हैवर गैवर बहु बिधि दानु दातारा ॥ अंन बसत्र भूमि बहु अरपे नह मिलीऐ हरि दुआरा ॥४॥ {पन्ना 641-642}पद्अर्थ: पढ़िओ = पढ़ा (कईयों ने)। अरु = और। निवलि = खड़े हो के, घुटनों पे हाथ रख के, सांस बाहर की ओर खींच के, आंतों को घुमाना = इससे पेट की आंतें साफ रहती हैं, कब्ज़ नहीं रहती। निउली कर्म सुबह ख़ाली पेट किया जाता है। भुअंगम = भुयंगम्, पीठ की रीढ़ की हड्डी के साथ-साथ कुण्डलनी नाड़ी जिसकी शकल सर्पणी जैसी है। इस रास्ते से सांस चढ़ाते हैं। साधे = साध लिए (कईयों ने)। सिउ = से। संगु = साथ। छुटकिओ = छूट सका, खत्म हो सका। अधिक = बहुत ज्यादा। अहंबुधि = अहंकार भरी बुद्धि। बाधे = बंध गए।1।पिआरे = हे सज्जन! इन बिधि = इन तरीकों से। मै = मेरे देखते हुए। हारि = हार के, इन कर्मों से जब कुछ ना बना तो इनका आसरा त्याग के। परिओ = पड़ा हूँ। कै दुआरै = के दर पे। बिबेका = परख। रहाउ।मोनि भइओ = कोई चुप्पी साधे बैठा है। करपाती = (कर = हाथ। पात्र = बर्तन) हाथों को ही बर्तन बना के रखने वाला। माही = में। तट = दरिया का किनारा। सभ = सारी। भ्रमिओ = भटकता फिरा। दुबिधा = दु चिक्ता पन, मेर तेर, डाँवा डोल मानसिक दशा। छुटकै नाही = समाप्त नहीं होती।2।कामना = इच्छा, फुरना। सिरि = सिर पर। करवत = आरा, शिव जी वाला आरा जो बानारस के शिव मंदिर में है। शिव लोक पहुँचने की चाहत वाले कई भटके हुए लोग अपने आप को इस आरे से चिरवा लेते हैं। इह बिधि = इस तरीके से।3।कनिक = सोना। कामिनी = स्त्री। हैवर = (हयवर) बढ़िया घोड़े। गैवर = (गजवर) बढ़िया हाथी। दातारा = देने वाला। अरपे = दान करता। हरि दुआरा = हरी के दर पे।4।अर्थ: हे भाई! कोई मनुष्य वेद (आदि धर्म-पुस्तकों को) पढ़ता है और विचारता है। कोई मनुष्य निवली कर्म करता है, कोई कुण्डलनी नाड़ी के रास्ते प्राण चढ़ाता है। (पर इन साधनों से कामादिक) पाँचों से साथ खतम नहीं हो सकता। (बल्कि) ज्यादा अहंकार में (मनुष्य) बंध जाता है।1।हे भाई1 मेरे देखते हुए ही लोग अनेकों ही (मिथे हुए धार्मिक) कर्म करते हैं, पर इन तरीकों से परमात्मा के चरणों में जुड़ा नहीं जा सकता। हे भाई! मैं तो इन कर्मों का आसरा छोड़ के मालिक प्रभू के दर पर आ गिरा हूँ (और प्रार्थना करता रहता हूँ - हे प्रभू! मुझे भलाई बुराई की) परख कर सकने वाली अक्ल दे। रहाउ।हे भाई! कोई मनुष्य चुप साधे बैठा है, कोई कर पाती बन गया है (बर्तनों की जगह अपना हाथ ही बरतता है), कोई जंगलों में नंगा घूमता फिरता है। कोई मनुष्य सारे तीर्थों का रटन कर रहा है, कोई सारी धरती का भ्रमण कर रहा है, (पर इस तरह भी) मन की डांवा-डोल स्थिति समाप्त नहीं होती।2।हे भाई! कोई मनुष्य अपनी मनोकामना के अनुसार तीर्थों पे जा बसा है, (मुक्ति का चाहवान अपने) सिर पर (शिव जी वाला) आरा रखवाता है (और, अपने आप को चिरवा लेता है)। पर अगर कोई मनुष्य (ऐसे) लाखों ही यतन करे, इस तरह भी मन की (विकारों की) मैल नहीं उतरती।3।हे भाई! कोई मनुष्य सोना, स्त्री, बढ़िया घोड़े, बढ़िया हाथी (और ऐसे ही) कई किसमों के दान करने वाला है। कोई मनुष्य अन्न दान करता है, कपड़े दान करता है, जमीन दान करता है। (इस तरह भी) परमात्मा के दर पर पहुँचा नहीं जा सकता।4।
सोरठि महला ५ घरु २ असटपदीआ ੴ सतिगुर प्रसादि ॥ पाठु पड़िओ अरु बेदु बीचारिओ निवलि भुअंगम साधे ॥ पंच जना सिउ संगु न छुटकिओ अधिक अह्मबुधि बाधे ॥१॥ पिआरे इन बिधि मिलणु न जाई मै कीए करम अनेका ॥ हारि परिओ सुआमी कै दुआरै दीजै बुधि बिबेका ॥ रहाउ ॥ मोनि भइओ करपाती रहिओ नगन फिरिओ बन माही ॥ तट तीरथ सभ धरती भ्रमिओ दुबिधा छुटकै नाही ॥२॥ मन कामना तीरथ जाइ बसिओ सिरि करवत धराए ॥ मन की मैलु न उतरै इह बिधि जे लख जतन कराए ॥३॥ कनिक कामिनी हैवर गैवर बहु बिधि दानु दातारा ॥ अंन बसत्र भूमि बहु अरपे नह मिलीऐ हरि दुआरा ॥४॥ {पन्ना 641-642}
पद्अर्थ: पढ़िओ = पढ़ा (कईयों ने)। अरु = और। निवलि = खड़े हो के, घुटनों पे हाथ रख के, सांस बाहर की ओर खींच के, आंतों को घुमाना = इससे पेट की आंतें साफ रहती हैं, कब्ज़ नहीं रहती। निउली कर्म सुबह ख़ाली पेट किया जाता है। भुअंगम = भुयंगम्, पीठ की रीढ़ की हड्डी के साथ-साथ कुण्डलनी नाड़ी जिसकी शकल सर्पणी जैसी है। इस रास्ते से सांस चढ़ाते हैं। साधे = साध लिए (कईयों ने)। सिउ = से। संगु = साथ। छुटकिओ = छूट सका, खत्म हो सका। अधिक = बहुत ज्यादा। अहंबुधि = अहंकार भरी बुद्धि। बाधे = बंध गए।1।
पिआरे = हे सज्जन! इन बिधि = इन तरीकों से। मै = मेरे देखते हुए। हारि = हार के, इन कर्मों से जब कुछ ना बना तो इनका आसरा त्याग के। परिओ = पड़ा हूँ। कै दुआरै = के दर पे। बिबेका = परख। रहाउ।
मोनि भइओ = कोई चुप्पी साधे बैठा है। करपाती = (कर = हाथ। पात्र = बर्तन) हाथों को ही बर्तन बना के रखने वाला। माही = में। तट = दरिया का किनारा। सभ = सारी। भ्रमिओ = भटकता फिरा। दुबिधा = दु चिक्ता पन, मेर तेर, डाँवा डोल मानसिक दशा। छुटकै नाही = समाप्त नहीं होती।2।
कामना = इच्छा, फुरना। सिरि = सिर पर। करवत = आरा, शिव जी वाला आरा जो बानारस के शिव मंदिर में है। शिव लोक पहुँचने की चाहत वाले कई भटके हुए लोग अपने आप को इस आरे से चिरवा लेते हैं। इह बिधि = इस तरीके से।3।
कनिक = सोना। कामिनी = स्त्री। हैवर = (हयवर) बढ़िया घोड़े। गैवर = (गजवर) बढ़िया हाथी। दातारा = देने वाला। अरपे = दान करता। हरि दुआरा = हरी के दर पे।4।
अर्थ: हे भाई! कोई मनुष्य वेद (आदि धर्म-पुस्तकों को) पढ़ता है और विचारता है। कोई मनुष्य निवली कर्म करता है, कोई कुण्डलनी नाड़ी के रास्ते प्राण चढ़ाता है। (पर इन साधनों से कामादिक) पाँचों से साथ खतम नहीं हो सकता। (बल्कि) ज्यादा अहंकार में (मनुष्य) बंध जाता है।1।
हे भाई1 मेरे देखते हुए ही लोग अनेकों ही (मिथे हुए धार्मिक) कर्म करते हैं, पर इन तरीकों से परमात्मा के चरणों में जुड़ा नहीं जा सकता। हे भाई! मैं तो इन कर्मों का आसरा छोड़ के मालिक प्रभू के दर पर आ गिरा हूँ (और प्रार्थना करता रहता हूँ - हे प्रभू! मुझे भलाई बुराई की) परख कर सकने वाली अक्ल दे। रहाउ।
हे भाई! कोई मनुष्य चुप साधे बैठा है, कोई कर पाती बन गया है (बर्तनों की जगह अपना हाथ ही बरतता है), कोई जंगलों में नंगा घूमता फिरता है। कोई मनुष्य सारे तीर्थों का रटन कर रहा है, कोई सारी धरती का भ्रमण कर रहा है, (पर इस तरह भी) मन की डांवा-डोल स्थिति समाप्त नहीं होती।2।
हे भाई! कोई मनुष्य अपनी मनोकामना के अनुसार तीर्थों पे जा बसा है, (मुक्ति का चाहवान अपने) सिर पर (शिव जी वाला) आरा रखवाता है (और, अपने आप को चिरवा लेता है)। पर अगर कोई मनुष्य (ऐसे) लाखों ही यतन करे, इस तरह भी मन की (विकारों की) मैल नहीं उतरती।3।
हे भाई! कोई मनुष्य सोना, स्त्री, बढ़िया घोड़े, बढ़िया हाथी (और ऐसे ही) कई किसमों के दान करने वाला है। कोई मनुष्य अन्न दान करता है, कपड़े दान करता है, जमीन दान करता है। (इस तरह भी) परमात्मा के दर पर पहुँचा नहीं जा सकता।4।
Hukamnama in English With Meanings
Sorath Mehalaa 5 Ghar 2 Asattapadheeaa
Ik Oankaar Sathigur Prasaadh ||
Paath Parriou Ar Baedh Beechaariou Nival Bhuangam Saadhhae ||
Panch Janaa Sio Sang N Shhuttakiou Adhhik Ahanbudhh Baadhhae ||1||
Piaarae Ein Bidhh Milan N Jaaee Mai Keeeae Karam Anaekaa ||
Haar Pariou Suaamee Kai Dhuaarai Dheejai Budhh Bibaekaa || Rehaao ||
Mon Bhaeiou Karapaathee Rehiou Nagan Firiou Ban Maahee ||
Thatt Theerathh Sabh Dhharathee Bhramiou Dhubidhhaa Shhuttakai Naahee ||2||
Meaning: Hey brother! A person reads and thinks Vedas (etc.). A person performs a dungeon, a person dies through a Kundalini pulse. (But amorous by these means) The five cannot be finished together. (Rather) more ego (human) is bound. 1.
O brother, in my sight, people do many (perverted religious) deeds, but these ways cannot be connected at the feet of God. Hey brother! I have given up my hope of these deeds and have come at the rate of Lord Prabhu (and keep praying - O Lord, give me the wisdom that can test me for good and evil). Rahu.
Hey brother! Somebody is sitting silently, someone has become able to do (takes his hand instead of utensils), someone wanders naked in the woods. A man is reciting all the pilgrimages, some is touring the whole earth, (but in this way too), the state of mind does not end.
Hey brother! A person, according to his wishes, has settled in the shrines, (who wishes to be liberated), puts his (Shiva-in-law) ara on his head (and, himself, loses it). But if a human being (like this) does millions only, in this way also the dirt (of the disorders) does not come off.
Hey brother! A man is going to donate many varieties of gold, women, good horses, good elephants (and so on). A person donates food, donates clothes, donates land. (Even so) cannot be reached at the rate of the divine. 4.
https://www.hukamnamaupdate.online
Sorath Mehalaa 5 Ghar 2 Asattapadheeaa
Ik Oankaar Sathigur Prasaadh ||
Paath Parriou Ar Baedh Beechaariou Nival Bhuangam Saadhhae ||
Panch Janaa Sio Sang N Shhuttakiou Adhhik Ahanbudhh Baadhhae ||1||
Piaarae Ein Bidhh Milan N Jaaee Mai Keeeae Karam Anaekaa ||
Haar Pariou Suaamee Kai Dhuaarai Dheejai Budhh Bibaekaa || Rehaao ||
Mon Bhaeiou Karapaathee Rehiou Nagan Firiou Ban Maahee ||
Thatt Theerathh Sabh Dhharathee Bhramiou Dhubidhhaa Shhuttakai Naahee ||2||
Meaning: Hey brother! A person reads and thinks Vedas (etc.). A person performs a dungeon, a person dies through a Kundalini pulse. (But amorous by these means) The five cannot be finished together. (Rather) more ego (human) is bound. 1.
O brother, in my sight, people do many (perverted religious) deeds, but these ways cannot be connected at the feet of God. Hey brother! I have given up my hope of these deeds and have come at the rate of Lord Prabhu (and keep praying - O Lord, give me the wisdom that can test me for good and evil). Rahu.
Hey brother! Somebody is sitting silently, someone has become able to do (takes his hand instead of utensils), someone wanders naked in the woods. A man is reciting all the pilgrimages, some is touring the whole earth, (but in this way too), the state of mind does not end.
Hey brother! A person, according to his wishes, has settled in the shrines, (who wishes to be liberated), puts his (Shiva-in-law) ara on his head (and, himself, loses it). But if a human being (like this) does millions only, in this way also the dirt (of the disorders) does not come off.
Hey brother! A man is going to donate many varieties of gold, women, good horses, good elephants (and so on). A person donates food, donates clothes, donates land. (Even so) cannot be reached at the rate of the divine. 4.
https://www.hukamnamaupdate.online
No comments