Today Hukamnama Sri Darbar Sahib Amritsar Sahib, Harmandir Sahib Goldentemple, Morning Mukhwak, Date:- 14-09-20, Ang. 662
Hukamnama in Hindi With Meanings
ੴ सति नामु करता पुरखु निरभउ निरवैरु
अकाल मूरति अजूनी सैभं गुर प्रसादि ॥
रागु टोडी महला ४ घरु १ ॥
हरि बिनु रहि न सकै मनु मेरा ॥ मेरे प्रीतम प्रान हरि प्रभु गुरु मेले बहुरि न भवजलि फेरा ॥१॥ रहाउ ॥ मेरै हीअरै लोच लगी प्रभ केरी हरि नैनहु हरि प्रभ हेरा ॥ सतिगुरि दइआलि हरि नामु द्रिड़ाइआ हरि पाधरु हरि प्रभ केरा ॥१॥ हरि रंगी हरि नामु प्रभ पाइआ हरि गोविंद हरि प्रभ केरा ॥ हरि हिरदै मनि तनि मीठा लागा मुखि मसतकि भागु चंगेरा ॥२॥ लोभ विकार जिना मनु लागा हरि विसरिआ पुरखु चंगेरा ॥ ओइ मनमुख मूड़ अगिआनी कहीअहि तिन मसतकि भागु मंदेरा ॥३॥ बिबेक बुधि सतिगुर ते पाई गुर गिआनु गुरू प्रभ केरा ॥ जन नानक नामु गुरू ते पाइआ धुरि मसतकि भागु लिखेरा ॥४॥१॥ {पन्ना 711}
पद्अर्थ: मेले = (जिसको) मिला देता है। बहुरि = दोबारा। भवजलि = संसार समुंद्र में।1। रहाउ।
हीअरै = हृदय में। लोच = तांघ, चाहत। केरी = की। नैनहु = आँखों से। हेरा = रेरूँ, देखूँ। सतिगुरि = गुरू ने। दइआलि = दयालु ने। द्रिढ़ाइआ = हृदय में दृढ़ कर लिया। पाधरु = सपाट रास्ता। केरा = का, मिलने का।1।
रंगी = अनेकों रंगो करिश्मों का मालिक। मनि = मन में। तनि = तन में। मुखि = मुख पर। मसतकि = माथे पर।2।
ओइ = (शब्द ‘ओह’ का बहुवचन)। मनमुख = अपने मन के पीछे चलने वाले। मूढ़ = मूर्ख। कहीअहि = कहलाते हैं। अगिआनी = आत्मिक जीवन से बेसमझ।3।
बिबेक बुधि = (अच्छे बुरे की) परख करने वाली अक्ल। ते = से। गिआनु = आत्मिक जीवन की सूझ। धुरि = धुर दरगाह से। लिखेरा = लिखा हुआ।4।
अर्थ: हे भाई! मेरा मन परमात्मा की याद के बिना नहीं रह सकता। गुरू (जिस मनुष्य को) जिंद का प्यारा प्रभू मिला देता है, उसको संसार-समुंद्र में दोबारा नहीं आना पड़ता।1। रहाउ।
हे भाई! मेरे हृदय में प्रभू (के मिलाप) की तमन्ना लगी हुई थी (मेरा जी करता था कि) मैं (अपनी) आँखों से हरी-प्रभू को देख लूँ। दयालु गुरू ने परमात्मा का नाम मेरे दिल में दृढ़ कर दिया- यही है हरी-प्रभू (को मिलने) का सपाट रास्ता।1।
हे भाई! अनेकों करिश्मों के मालिक हरी प्रभू गोबिंद का नाम जिस मनुष्य ने प्राप्त कर लिया, उसके हृदय में, उसके मन में शरीर में, परमात्मा प्यारा लगने लग जाता है, उसके माथे पे मुँह पे अच्छे भाग्य जाग पड़ते हैं।2।
पर, हे भाई! जिन मनुष्यों के मन लोभ आदि विकारों में मस्त रहते हैं, उनको अच्छा अकाल-पुरख भूला रहता है। अपने मन के पीछे चलने वाले वे मनुष्य मूर्ख कहे जाते हैं, आत्मिक जीवन की ओर से बे-समझ कहे जाते हैं। उनके माथे पर बुरी किस्मत (उघड़ी हुई समझ लो)।3।
हे दास नानक! जिन मनुष्यों के माथे पर धुर से लिखे अच्छे भाग्य उघड़ आए, उन्होंने गुरू से परमात्मा का नाम प्राप्त कर लिया, उन्होंने गुरू से अच्छे-बुरे काम की परख वाली बुद्धि हासिल कर ली, उन्होंने परमात्मा के मिलाप के लिए गुरू से आत्मिक जीवन की सूझ प्राप्त कर ली।4।1।
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