Hukamnama sahib 12/03/2020 from sri Darbar sahib Amritsar

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Ajj da Hukamnama sahib sri Darbar sahib Amritsar, Harmandir sahib Goldentemple, morning Mukhwak, Date 12-03-20, Ang. 647


Hukamnama & meaning in Hindi


सलोकु मः ३ ॥ परथाइ साखी महा पुरख बोलदे साझी सगल जहानै ॥ गुरमुखि होइ सु भउ करे आपणा आपु पछाणै ॥ गुर परसादी जीवतु मरै ता मन ही ते मनु मानै ॥ {पन्ना 647}
पद्अर्थ: साखी = शिक्षा का वचन।
अर्थ: महापुरुष किसी के संबंध में शिक्षा के वचन बोलते हैं (पर वह शिक्षा) सारे संसार के लिए सांझे होते हैं, जो मनुष्य सतिगुरू के सन्मुख होते हैं, वह (सुन के) प्रभू का डर (हृदय में धारण) करते हैं, और अपने आप की खोज करते हैं (आत्म-विश्लेषण करते हैं)। सतिगुरू की कृपा से वे संसार में कार्य-व्यवहार करते हुए भी माया से उदास रहते हैं, और उनका मन अपने आप में पतीजा रहता है (बाहर भटकने से हट जाता है)।
जिन कउ मन की परतीति नाही नानक से किआ कथहि गिआनै ॥१॥ {पन्ना 647}
अर्थ: हे नानक! जिन का मन पतीजा नहीं, उनको ज्ञान की बातें करने का कोई लाभ नहीं होता।1।
मः ३ ॥ गुरमुखि चितु न लाइओ अंति दुखु पहुता आइ ॥ अंदरहु बाहरहु अंधिआं सुधि न काई पाइ ॥ पंडित तिन की बरकती सभु जगतु खाइ जो रते हरि नाइ ॥ जिन गुर कै सबदि सलाहिआ हरि सिउ रहे समाइ ॥ {पन्ना 647}
अर्थ: हे पंडित! जिन मनुष्यों ने सतिगुरू के सन्मुख हो के (हरी में) मन नहीं जोड़ा, उन्हें आखिर दुख ही होता है। उन अंदर व बाहर के अंधों को कोई समझ नहीं आती। (पर) हे पंडित! जो मनुष्य हरी के नाम में रंगे हुए हैं, जिन्होंने सतिगुरू के शबद के द्वारा सिफत सालाह की है और हरी में लीन हैं, उनकी कमाई की बरकति सारा संसार खाता है।
पंडित दूजै भाइ बरकति न होवई ना धनु पलै पाइ ॥ पड़ि थके संतोखु न आइओ अनदिनु जलत विहाइ ॥ कूक पूकार न चुकई ना संसा विचहु जाइ ॥ नानक नाम विहूणिआ मुहि कालै उठि जाइ ॥२॥ {पन्ना 647}
पद्अर्थ: कूक पूकार = रोना चिल्लाना, गिले गुजारिश। संसा = संशय, तौख़ला। मुहि कालै = काले मुँह से, बदनामी कमा के।
अर्थ: हे पण्डित! माया के मोह में (फसे रहने से) बरकति नहीं हो सकती (आत्मिक जीवन फलता-फूलता नहीं) और ना ही नाम-धन मिलता है; पढ़-पढ़ के थक जाते हैं, पर संतोष नहीं आता और हर वक्त (उम्र) जलते हुए गुजरती है; उनकी गिला-गुजारिश खत्म नहीं होती और मन में से चिंता नहीं जाती। हे नानक! नाम से वंचित रहने के कारण मनुष्य काला मुँह ले के ही (संसार से) उठ जाता है।2।
पउड़ी ॥ हरि सजण मेलि पिआरे मिलि पंथु दसाई ॥ जो हरि दसे मितु तिसु हउ बलि जाई ॥ गुण साझी तिन सिउ करी हरि नामु धिआई ॥ हरि सेवी पिआरा नित सेवि हरि सुखु पाई ॥ {पन्ना 647}
पद्अर्थ: सजण = गुरमुख। मिलि = मिल के। पंथु = राह। दसाई = मैं पूछूँ। करी = मैं करूँ। धिआई = मैं सिमरूँ।
अर्थ: हे प्यारे हरी! मुझे गुरमुख मिला, जिनको मिल के मैं तेरा राह पूछूँ। जो मनुष्य मुझे हरी मित्र (की खबर) बताए, मैं उससे सदके हूँ। उनके साथ मैं गुणों की सांझ डालूँ और हरी का नाम सिमरूँ। मैं सदा प्यारे हरी को सिमरूँ और सिमर के सुख लूँ।
बलिहारी सतिगुर तिसु जिनि सोझी पाई ॥१२॥ {पन्ना 647}

Hukamnsma & meaning in English

Salok Ma 3 ||Parathhaae Saakhee Mehaa Purakh Boladhae Saajhee Sagal Jehaanai ||Guramukh Hoe S Bho Karae Aapanaa Aap Pashhaanai ||Gur Parasaadhee Jeevath Marai Thaa Man Hee Thae Man Maanai ||Jin Ko Man Kee Paratheeth Naahee Naanak Sae Kiaa Kathhehi Giaanai ||1||
Ma 3 ||Guramukh Chith N Laaeiou Anth Dhukh Pahuthaa Aae ||Andharahu Baaharahu Andhhiaaan Sudhh N Kaaee Paae ||Panddith Thin Kee Barakathee Sabh Jagath Khaae Jo Rathae Har Naae ||Jin Gur Kai Sabadh Salaahiaa Har Sio Rehae Samaae ||Panddith Dhoojai Bhaae Barakath N Hovee Naa Dhhan Palai Paae ||Parr Thhakae Santhokh N Aaeiou Anadhin Jalath Vihaae ||Kook Pookaar N Chukee Naa Sansaa Vichahu Jaae ||Naanak Naam Vihooniaa Muhi Kaalai Outh Jaae ||2||
Pourree ||Har Sajan Mael Piaarae Mil Panthh Dhasaaee ||Jo Har Dhasae Mith This Ho Bal Jaaee ||Gun Saajhee Thin Sio Karee Har Naam Dhhiaaee ||Har Saevee Piaaraa Nith Saev Har Sukh Paaee ||Balihaaree Sathigur This Jin Sojhee Paaee ||12||

Meaning: Great men speak the words of education in relation to someone (but that education) are common to the whole world, humans who are like Satiguru, they (hear) fear of God (holding it in the heart), and  Discover yourself (do self-analysis).  By the grace of Satiguru, he is depressed by Maya even while doing business in the world, and his mind remains pathetic in itself (moving away from wandering outside).


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