Darbar sahib Hukamnama 02/02/2021

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Ajj Da Hukamnama Sahib Sri Darbar Sahib Amritsar Sahib, Harmandir Sahib Goldentemple, Morning Mukhwak, Date:- 02-02-21, Ang. 634




Hukamnama in Hindi With Meanings

सोरठि महला १ घरु १ असटपदीआ चउतुकी    ੴ सतिगुर प्रसादि ॥
दुबिधा न पड़उ हरि बिनु होरु न पूजउ मड़ै मसाणि न जाई ॥ त्रिसना राचि न पर घरि जावा त्रिसना नामि बुझाई ॥ घर भीतरि घरु गुरू दिखाइआ सहजि रते मन भाई ॥ तू आपे दाना आपे बीना तू देवहि मति साई ॥१॥ मनु बैरागि रतउ बैरागी सबदि मनु बेधिआ मेरी माई ॥ अंतरि जोति निरंतरि बाणी साचे साहिब सिउ लिव लाई ॥ रहाउ ॥ असंख बैरागी कहहि बैराग सो बैरागी जि खसमै भावै ॥ हिरदै सबदि सदा भै रचिआ गुर की कार कमावै ॥ एको चेतै मनूआ न डोलै धावतु वरजि रहावै ॥ सहजे माता सदा रंगि राता साचे के गुण गावै ॥२॥ 
पद्अर्थ: दुबिधा = दु तरफा मन, परमात्मा के बिना और आसरे की तलाश। न पड़उ = मैं नहीं पड़ता। न पूजउ = मैं नहीं पूजता। मढ़ै = मढ़ियां, समाधि, कब्र। मसाणि = शमशान, जहाँ मुर्दे जलाए जाते हैं। न जाई = मैं नहीं जाता। राचि = फस के। पर घरि = पराए घर में, परमात्मा के बिना किसी और घर में। मन = मन को। भाई = पसंद आ गई है। दाना = जानने वाला। बीना = पहचानने वाला। साई = हे सांई!।1।
बैरागि = वैराग में, वियोग के अहसास में, विरह में। रतउ = रंगा हुआ। बैरागी = त्यागी। बेधिआ = भेदा हुआ। निरंतरि = दूरी के बिना, एक रस। रहाउ।
असंख = बेअंत। बैराग = वैराग की बातें। भै = परमात्मा के डर अदब में। धावतु = माया की ओर दौड़ते को। रहावै = काबू रखता है। सहजे = सहज में।2।
अर्थ: हे मेरी माँ! मेरा मन गुरू के शबद में भेदा गया है (परोया गया है। शबद की बरकति से मेरे अंदर परमात्मा से विछुड़ने का अहिसास पैदा हो गया है)। वही मनुष्य (दरअसल में) त्यागी है जिसका मन परमात्मा के बिरह-रंग में रंगा गया है। उस (वैरागी) के अंदर प्रभू की ज्योति जग पड़ती है, वह एक-रस सिफत सालाह की बाणी में (मस्त) रहता है, सदा कायम रहने वाले मालिक प्रभू (के चरणों में) उसकी सुरति जुड़ी रहती है।1। रहाउ।
मैं परमात्मा के बिना किसी और आसरे की तलाश में नहीं पड़ता, मैं प्रभू के बिना किसी और को नहीं पूजता, मैं कहीं समाधियों, शमशानों में भी नहीं जाता। माया की तृष्णा में फंस के मैं (परमात्मा के दर के बिना) किसी और घर में नहीं जाता, मेरी मायावी तृष्णा परमात्मा के नाम ने मिटा दी है। गुरू ने मुझे मेरे हृदय में ही परमात्मा का निवास-स्थान दिखा दिया है, और अडोल अवस्था में रंगे हुए मेरे मन को वह सहज-अवस्था अच्छी लग रही है।
हे मेरे सांई! (ये सब तेरी ही मेहर है) तू खुद ही (मेरे दिल की) जानने वाला है; खुद ही पहचानने वाला है, तू खुद ही मुझे (अच्छी) मति देता है (जिस कारण तेरा दर छोड़ के किसी और तरफ नहीं भटकता)।1।
अनेकों ही वैरागी वैराग की बातें करते हैं, पर असल वैरागी वह है जो (परमात्मा के विरह-रंग में इतना रंगा हुआ है कि वह ) पति-प्रभू को प्यारा लगने लगता है, वह गुरू के शबद के द्वारा अपने दिल में (परमात्मा की याद को बसाता है और) सदा परमात्मा के भय-अदब में मस्त (रह के) गुरू के द्वारा बताए हुए कार्य करता है। वह बैरागी सिर्फ परमात्मा को याद करता है (जिस कारण उसका) मन (माया की ओर) डोलता नहीं, वह बैरागी (माया की तरफ) भागते मन को रोक के (प्रभू चरणों में) रोके रखता है। अडोल अवस्था में मस्त वह वैरागी सदा (प्रभू के नाम-) रंग में रंगा रहता है, और सदा-स्थिर प्रभू की सिफत सालाह करता है।2।

Hukamnama in English With Meanings





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