Ajj Da Hukamnama Sahib Sri Darbar Sahib Amritsar Sahib, Harmandir Sahib Goldentemple, Morning Mukhwak, Date:- 14-08-20, Ang. 711
Hukamnama in Hindi With Meanings
टोडी महला ५ ॥ हरि बिसरत सदा खुआरी ॥ ता कउ धोखा कहा बिआपै जा कउ ओट तुहारी ॥ रहाउ ॥ बिनु सिमरन जो जीवनु बलना सरप जैसे अरजारी ॥ नव खंडन को राजु कमावै अंति चलैगो हारी ॥१॥ गुण निधान गुण तिन ही गाए जा कउ किरपा धारी ॥ सो सुखीआ धंनु उसु जनमा नानक तिसु बलिहारी ॥२॥२॥ {पन्ना 711-712}
पद्अर्थ: खुआरी = बेइज्जती। कउ = को। कहा बिआपै = नहीं व्याप सकता। ओट = आसरा। रहाउ।
बलना = बिलाना, गुजारना। अरजारी = उम्र। नव खंडन को राजु = सारी धरती का राज। अंति = आखिर को। हारी = हार के (मनुष्य जीवन की बाजी)।1।
गुण निधान गुण = गुणों के खजाने प्रभू के गुण। तिन ही = उसने ही (‘तिनि’ की ‘नि’ की ‘ि’ मात्रा ‘ही’ क्रिया विशेषण के कारण हट गई है) जा कउ = जिस पर। धारी = की। धंनु = मुबारक। तिसु = उस से कुर्बान।2।
अर्थ: हे भाई! परमात्मा (के नाम) को भुलाने से सदा (माया के हाथों मनुष्य की) बेइज्जती ही होती है। हे प्रभू! जिस मनुष्य को तेरा आसरा हो, उसको (माया के किसी भी विकार से) धोखा नहीं लग सकता। रहाउ।
हे भाई! परमात्मा के नाम-सिमरन के बिना जितनी भी जिंदगी गुजारनी है (वो ऐसे होती है) जैसे साँप (अपनी) उम्र गुजारता है (उम्र चाहे लंबी होती है, पर वह सदा अपने अंदर जहर पैदा करता रहता है)। (सिमरन से वंचित रहने वाला मनुष्य अगर) सारी धरती का राज भी करता रहे, तो भी आखिर मानस जीवन की बाजी हार के ही जाता है।1।
हे नानक! (कह– हे भाई!) गुणों के खजाने हरी के गुण उस मनुष्य ने ही गाए हैं जिस पर हरी ने मेहर की है। वह मनुष्य सदा सुखी जीवन व्यतीत करता है, उसकी जिंदगी सदा मुबारिक होती है। ऐसे मनुष्य से कुर्बान होना चाहिए।2।2।
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