Ajj Da Hukamnama Sahib Sri Darbar Sahib Amritsar Sahib, Harmandir Sahib Goldentemple, Morning Mukhwak, Date:- 04-10-20, Ang. 847
Hukamnama in Hindi With Meanings
बिलावलु महला ५ छंत ੴ सतिगुर प्रसादि ॥ सखी आउ सखी वसि आउ सखी असी पिर का मंगलु गावह ॥ तजि मानु सखी तजि मानु सखी मतु आपणे प्रीतम भावह ॥ तजि मानु मोहु बिकारु दूजा सेवि एकु निरंजनो ॥ लगु चरण सरण दइआल प्रीतम सगल दुरत बिखंडनो ॥ होइ दास दासी तजि उदासी बहुड़ि बिधी न धावा ॥ नानकु पइअ्मपै करहु किरपा तामि मंगलु गावा ॥१॥ {पन्ना 847}
पद्अर्थ: सखी = हे सहेलिए! वसि = रजा में (चलें)। मंगलु = सिुत सालाह के गीत। गावह = आओ गाएं। तजि = त्याग दे। मानु = अहंकार। मतु = शायद। प्रीतम भावह = प्रीतम को अच्छा लगे। बिकारु दूजा = माया के प्यार वाला विकार। सेवि = शरण पड़ो। निरंजनो = (निर+अंजन) जिसको माया के मोह की कालिख नहीं लग सकती। दुरत = पाप। दुरत बिखंडनो = पापों को नाश करने वाला। सगल = सारे। होइ = बन के। दास दासी = दासों की दासी। तजि = त्याग के। उदासी = (सिफत सालाह से) उपरामता। बहुड़ि = फिर। बिधि = (अनेकों) तरीकों से। न धावा = ना दौड़ूं, मैं ना भटकूँ। पइअंपै = विनती करता है। तामि = तब। गावा = गाऊँ, मैं गा सकूँ।1।
अर्थ: हे सहेलिए! आओ (मिल के बैठें) हे सहेलिए! आओ प्रभू की रजा में चलें, और प्रभू-पति की सिफत सालाह का गीत गाएं। हे सहेलिए! (अपने अंदर से) अहंकार दूर कर (अपने अंदर से) अहंकार दूर कर, शायद (इस तरह) हम अपने प्रीतम प्रभू को अच्छी लग सकें।
हे सहेलिए! (अपने अंदर से) अहंकार दूर कर, मोह दूर कर, माया के प्यार वाला विकार दूर कर, सिर्फ निर्लिप प्रभू की शरण पड़ी रह, सारे पापों के नाश करने वाले दया के श्रोत प्रीतम प्रभू के चरणों की औट पकड़े रख।
नानक बिनती करता है- हे सहेलिए! (मेरे ऊपर भी) मेहर कर, मैं (प्रभू के) दासों की दासी बन के, (सिफत सालाह की ओर से) उपरामता त्याग के बार-बार और तरफ ना भटकता फिरूँ। (तू मेहर करे), तब ही मैं (भी) सिफत-सालाह के गीत गा सकूँगा।1।
No comments