Ajj Da Hukamnama Sahib Sri Darbar Sahib Amritsar Sahib, Harmandir Sahib Goldentemple, Morning Mukhwak, Date:- 30-09-20, Ang. 740
Hukamnama in Hindi With Meanings
सूही महला ५ ॥ गुर कै बचनि रिदै धिआनु धारी ॥ रसना जापु जपउ बनवारी ॥१॥ सफल मूरति दरसन बलिहारी ॥ चरण कमल मन प्राण अधारी ॥१॥ रहाउ ॥ साधसंगि जनम मरण निवारी ॥ अम्रित कथा सुणि करन अधारी ॥२॥ काम क्रोध लोभ मोह तजारी ॥ द्रिड़ु नाम दानु इसनानु सुचारी ॥३॥ कहु नानक इहु ततु बीचारी ॥ राम नाम जपि पारि उतारी ॥४॥१२॥१८॥ {पन्ना 740}
पद्अर्थ: कै बचनि = के वचनों से। रिदै = हृदय में। धारी = मैं धारण करता हूँ। रसना = जीभ (से)। जपउ = मैं जपता हूँ। बनवारी = (वनमालिन् = जंगली फूलों की माला वाला) परमात्मा।1।
मूरति = हस्ती, अस्तित्व, स्वरूप। सफल मूरति = (वह गुरू) जिसका वजूद मानस जनम का फल देने वाला है। बलिहारी = सदके। चरण कमल = कमल फूलों जैसे कोमल चरण। अधारी = आसरा बनाता हूँ।1। रहाउ।
साध संगि = गुरू की संगति में। निवारी = मैं करता हूँ। अंम्रित कथा = आत्मिक जीवन देने वाली सिफत सालाह। करन अधारी = कानों को आसरा देता हूँ।2।
तजारी = त्यागता हूँ। द्रिढ़ु = (हृदय में) पक्का ठिकाना। दानु = दूसरों की सेवा। इसनानु = पवित्र आचरण। सुचारी = सदाचार, अच्छी जीवन मर्यादा।3।
नानक = हे नानक! ततु = निचोड़, अस्लियत। जपि = जप के। उतारी = उतार के, पार करके।4।
अर्थ: हे भाई! गुरू की हस्ती मानस जन्म का फल देने वाली है। मैं (गुरू के) दर्शनों से सदके जाता हूँ। गुरू के कोमल चरणों को मैं अपने मन का जिंद का आसरा बनाता हूँ।1। रहाउ।
हे भाई! गुरू के शबद के द्वारा मैं अपने दिल में परमात्मा का ध्यान धरता हूँ, और अपनी जीभ से परमात्मा (के नाम) का जाप जपता हूँ।1।
हे भाई! गुरू की संगति में (रह के) मैंने जनम-मरण का चक्कर समाप्त कर लिया है, और आत्मिक जीवन देने वाली सिफत सालाह कानों से सुन कर (इस को मैं अपने जीवन का) आसरा बना रहा हूँ।2।
हे भाई! (गुरू की बरकति से) मैंने काम-क्रोध-लोभ-मोह (आदि) को त्याग दिया है। हृदय में प्रभू-नाम को पक्का करके, दूसरों की सेवा करनी, आचरण को पवित्र रखना- ये मैंने अपना सदाचार (जीवन-मर्यादा) बना लिया है।3।
हे नानक! कह– (हे भाई! तू भी) ये अस्लियत अपने मन में बसा ले, और गुरू के माध्यम से परमात्मा का नाम जप के (अपने आप को संसार-समुंद्र से) पार लंघा ले।4।12।18।
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