Today Hukamnama Sri Darbar Sahib Amritsar Sahib, Harmandir Sahib Goldentemple, Morning Mukhwak, Date:- 27-09-20, Ang. 620
Hukamnama in Hindi With Meanings
सोरठि महला ५ ॥ मेरा सतिगुरु रखवाला होआ ॥ धारि क्रिपा प्रभ हाथ दे राखिआ हरि गोविदु नवा निरोआ ॥१॥ रहाउ ॥ तापु गइआ प्रभि आपि मिटाइआ जन की लाज रखाई ॥ साधसंगति ते सभ फल पाए सतिगुर कै बलि जांई ॥१॥ हलतु पलतु प्रभ दोवै सवारे हमरा गुणु अवगुणु न बीचारिआ ॥ अटल बचनु नानक गुर तेरा सफल करु मसतकि धारिआ ॥२॥२१॥४९॥ {पन्ना 620}
पद्अर्थ: धारि = धार के। प्रभि = प्रभू ने। नवा निरोआ = बिल्कुल आरोग्य।1। रहाउ।
प्रभि = प्रभू ने। लाज = इज्जत। ते = से। बलि जांई = मैं कुर्बान जाता हूँ।1।
हलतु = (अत्र) ये लोक। पलतु = (परत्र) परलोक। हमरा = हम जीवों का। अटल = कभी ना टलने वाला। नानक = हे नानक! गुर = हे गुरू! सफल = फल देने वाला, बरकत वाला। करु = हाथ। मसतकि = माथे पर।2।
अर्थ: हे भाई! मेरा गुरू (मेरा) सहायक बना है, (गुरू की शरण की बरकति से) प्रभू ने कृपा करके (अपना) हाथ दे के (बाल हरि गोबिंद को) बचा लिया है, (अब बालक) हरि गोबिंद बिल्कुल ठीक-ठाक हो गया है।1।
(हे भाई! बालक हरि गोबिंद का) ताप उतर गया है, प्रभू ने खुद उतारा है, प्रभू ने अपने सेवक की इज्जत रख ली है। हे भाई! गुरू की संगति से (मैंने) सारे फल प्राप्त किए हैं, मैं (सदा) गुरू से (ही) कुर्बान जाता हूँ।1।
(हे भाई! जो भी मनुष्य प्रभु का पल्लू पकड़ के रखता है, उसका) ये लोक और परलोक दोनों ही परमात्मा सवार देता है, हम जीवों का कोई गुण अथवा अवगुण परमात्मा चिक्त में नहीं रखता। हे नानक! (कह–) हे गुरू! तेरा (ये) बचन कभी टलने वाला नहीं (कि परमात्मा ही जीव का लोक-परलोक में रक्षक है)। हे गुरू! तू अपना बरकत भरा हाथ (हम जीवों के) माथे पर रखता है।2।21।49।
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