Ajj da Hukamnama sahib Sri Darbar sahib Amritsar, Harmandir sahib Goldentemple, Morning Mukhwak, Date. 18/09/20, Ang. 720
Hukamnama & meaning in Hindi
रागु बैराड़ी महला ५ घरु १ ੴ सतिगुर प्रसादि ॥ संत जना मिलि हरि जसु गाइओ ॥ कोटि जनम के दूख गवाइओ ॥१॥ रहाउ ॥ जो चाहत सोई मनि पाइओ ॥ करि किरपा हरि नामु दिवाइओ ॥१॥ सरब सूख हरि नामि वडाई ॥ गुर प्रसादि नानक मति पाई ॥२॥१॥७॥ {पन्ना 720}
पद्अर्थ: मिलि = मिल के। जसु = यश, सिफत सालाह के गीत। गाइओ = गाया। कोटि = करोड़ों। गवाइओ = गवा दिए, दूर कर दिए।1। रहाउ।
चाहत = चाहता है। सोई = वही मुराद। मनि = मन में। पाइओ = प्राप्त कर ली। करि = कर के। दिवाइओ = (प्रभू से) दिला दिया।1।
हरि नामि = प्रभू के नाम में (जुड़ने से)। सरब = सारे। वडाई = आदर इज्ज्त। प्रसादि = कृपा से। मति = अक्ल।2।
अर्थ: हे भाई! जिस भी मनुष्य ने गुरमुखों की संगति में मिल के परमात्मा की सिफत सालाह के गीत गाए हैं, उसके अपने करोड़ों जन्मों के दुख दूर कर लिए है।1। रहाउ।
हे भाई! सिफत सालाह करने वाले मनुष्य ने जो कुछ भी अपने मन में चाह की, उसको वहीं प्राप्त हो गई। (गुरू ने) कृपा करके उसको (प्रभू के दर से) प्रभू का नाम भी दिलवा दिया।
हे भाई! परमात्मा के नाम में (जुड़ने से) सारे सुख प्राप्त हो जाते हैं, (लोक-परलोक में) इज्जत (भी मिल जाती है)। हे नानक! (प्रभू के नाम में जुड़ने की यह) अकल गुरू की कृपा से ही मिलती है।2।1।7।
रागु बैराड़ी महला ५ घरु १ ੴ सतिगुर प्रसादि ॥ संत जना मिलि हरि जसु गाइओ ॥ कोटि जनम के दूख गवाइओ ॥१॥ रहाउ ॥ जो चाहत सोई मनि पाइओ ॥ करि किरपा हरि नामु दिवाइओ ॥१॥ सरब सूख हरि नामि वडाई ॥ गुर प्रसादि नानक मति पाई ॥२॥१॥७॥ {पन्ना 720}
पद्अर्थ: मिलि = मिल के। जसु = यश, सिफत सालाह के गीत। गाइओ = गाया। कोटि = करोड़ों। गवाइओ = गवा दिए, दूर कर दिए।1। रहाउ।
चाहत = चाहता है। सोई = वही मुराद। मनि = मन में। पाइओ = प्राप्त कर ली। करि = कर के। दिवाइओ = (प्रभू से) दिला दिया।1।
हरि नामि = प्रभू के नाम में (जुड़ने से)। सरब = सारे। वडाई = आदर इज्ज्त। प्रसादि = कृपा से। मति = अक्ल।2।
अर्थ: हे भाई! जिस भी मनुष्य ने गुरमुखों की संगति में मिल के परमात्मा की सिफत सालाह के गीत गाए हैं, उसके अपने करोड़ों जन्मों के दुख दूर कर लिए है।1। रहाउ।
हे भाई! सिफत सालाह करने वाले मनुष्य ने जो कुछ भी अपने मन में चाह की, उसको वहीं प्राप्त हो गई। (गुरू ने) कृपा करके उसको (प्रभू के दर से) प्रभू का नाम भी दिलवा दिया।
हे भाई! परमात्मा के नाम में (जुड़ने से) सारे सुख प्राप्त हो जाते हैं, (लोक-परलोक में) इज्जत (भी मिल जाती है)। हे नानक! (प्रभू के नाम में जुड़ने की यह) अकल गुरू की कृपा से ही मिलती है।2।1।7।
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