Darbsar sahib Hukamnama 01/08/2020 Amritsar

Share:

Ajj Da Hukamnama Sahib Sri Darbar Sahib Amritsar Sahib, Harmandir Sahib Goldentemple, Morning Mukhwak, Date:- 01-08-20, Ang. 578





Hukamnama in Hindi With Meanings

रागु वडहंसु महला १ घरु ५ अलाहणीआ    ੴ सतिगुर प्रसादि ॥ धंनु सिरंदा सचा पातिसाहु जिनि जगु धंधै लाइआ ॥ मुहलति पुनी पाई भरी जानीअड़ा घति चलाइआ ॥ जानी घति चलाइआ लिखिआ आइआ रुंने वीर सबाए ॥ कांइआ हंस थीआ वेछोड़ा जां दिन पुंने मेरी माए ॥ जेहा लिखिआ तेहा पाइआ जेहा पुरबि कमाइआ ॥ धंनु सिरंदा सचा पातिसाहु जिनि जगु धंधै लाइआ ॥१॥ साहिबु सिमरहु मेरे भाईहो सभना एहु पइआणा ॥ एथै धंधा कूड़ा चारि दिहा आगै सरपर जाणा ॥ आगै सरपर जाणा जिउ मिहमाणा काहे गारबु कीजै ॥ जितु सेविऐ दरगह सुखु पाईऐ नामु तिसै का लीजै ॥ आगै हुकमु न चलै मूले सिरि सिरि किआ विहाणा ॥ साहिबु सिमरिहु मेरे भाईहो सभना एहु पइआणा ॥२॥ जो तिसु भावै सम्रथ सो थीऐ हीलड़ा एहु संसारो ॥ जलि थलि महीअलि रवि रहिआ साचड़ा सिरजणहारो ॥ साचा सिरजणहारो अलख अपारो ता का अंतु न पाइआ ॥ आइआ तिन का सफलु भइआ है इक मनि जिनी धिआइआ ॥ ढाहे ढाहि उसारे आपे हुकमि सवारणहारो ॥ जो तिसु भावै सम्रथ सो थीऐ हीलड़ा एहु संसारो ॥३॥ नानक रुंना बाबा जाणीऐ जे रोवै लाइ पिआरो ॥ वालेवे कारणि बाबा रोईऐ रोवणु सगल बिकारो ॥ रोवणु सगल बिकारो गाफलु संसारो माइआ कारणि रोवै ॥ चंगा मंदा किछु सूझै नाही इहु तनु एवै खोवै ॥ ऐथै आइआ सभु को जासी कूड़ि करहु अहंकारो ॥ नानक रुंना बाबा जाणीऐ जे रोवै लाइ पिआरो ॥४॥१॥ {पन्ना 578-579}
अलाहणीईआ: किसी के मरने पर गाए जाने वाले गीत। जब कोई प्राणी मरता है तो भाईचारे की औरतें मिल के रोती हैं। मरासणें उस मरे प्राणी की तारीफ में कविता सी कोई तुक सुर में पढ़ती हैं, उसके पीछे वही तुक सारी औरतें मिल के सुर में पढ़ती हैं और साथ बिलखती हैं। ये बिलखना भी ताल में ही होता है। मिरासन के उस गीत को ‘अलाहणियां’ कहा जाता है। सतिगुरू जी ने इस रोने-धोने को मना किया है और परमात्मा की रजा में चलने व उसकी सिफत सालाह करने का उपदेश देते हैं।
पद्अर्थ: धंनु = धन्यतायोग्य, साराहनीय। सिरंदा = पैदा करने वाला, सृजनहार। सचा = सदा स्थिर रहने वाला। जिनि = जिस (बादशाह) ने। धंधै = (माया के) आहर में। मुहलति = मिला हुआ समय। पुनी = पुनी, पहुँच गई, पूरी हो गई। पाई = पन घड़ी की प्याली। इसके नीचे छेद होता है जिससे प्याली में पानी आता रहता है। पूरे एक घण्टे में प्याली पानी से भर के पानी में डूब जाती है। खाली करके प्याली फिर पानी पर रख दी जाती है, और इस तरह एक-एक घण्टे के समय पता चलता रहता है। जानीअड़ा = प्यारी साथी जीवात्मा। घति = पकड़ के। चलाइआ = आगे लगा लिया जाता है। वीर सबाऐ = सारे वीर, सारे सज्जन संबन्धि। हंस = जीवात्मा। पुंने = पुग गए, समाप्त हो गए। माऐ = हे माँ! पुरबि = मरने से पहले के समय में।1।
पइआणा = पयाना, कूच। ऐथै = यहाँ, इस संसार में। सरपर = जरूर। मिहमाणा = मेहमान। गारबु = गर्व, अहंकार। जितु सेविअै = जिसका सिमरन करने से। मूले = बिल्कुल। सिरि सिरि = हरेक के सिर पर। किआ = किया, अपना अपना किया कर्म। विहाणा = बिहाना, बीतता है।2।
संम्रथ = सर्व शक्तिमान। हीलड़ा = बहाना। संसारो = (भाव) संसारी जीवों का प्रयास। महीअलि = मही तलि, धरती के तल पर, धरती के ऊपरी अंतरिक्ष में, आकाश में। अलख = अदृष्ट। इक मनि = एक मन से, सुरति जोड़ के। ढाहि = गिरा के। हुकमि = हुकम अनुसार।3।
बाबा = हे भाई! रुंना जाणीअै = सही मायने में वैराग में आया समझो। वालेवे कारणि = धन पदार्थ की खातिर। बिकारो = बे कार, व्यर्थ। गाफलु = बेखबर, लापरवाह। खोवै = नाश करता है। कूड़ि = नाशवंत जगत की खातिर।4।
अर्थ: जिस (प्रभू) ने जगत को माया के चक्कर में लगा रखा है वही सृजनहार पातशाह सलाहने-योग्य है। (क्योंकि वही) सदा कायम रहने वाला है। (जीव बिचारे की कोई बिसात नहीं) जब जीव को मिला हुआ समय समाप्त हो जाता है जब इसकी उम्र की प्याली भर जाती है तो (शरीर के) प्यारे साथी को पकड़ के आगे लगा लिया जाता है। (उम्र के खत्म होने पर) जब परमात्मा का लिखा हुकम आता है, शरीर के प्यारे साथी जीवात्मा को पकड़ के आगे लगा लिया जाता है, और सारे सजजन-संबंधी रोते हैं। हे मेरी माँ! जब उम्र के दिन पूरे हो जाते हैं, तो शरीर और जीवात्मा का (सदा के लिए) विछोड़ा हो जाता है। (उस अंत समय से) पहले-पहले जो कर्म जीव ने कमाए होते हैं (उस उस के अनुसार) जैसे जैसे संस्कारों का लेख (उसके माथे पर) लिखा जाता है वैसा ही फल जीव पाता है।
जिसने जगत को माया की आहर में लगा रखा है वही सृजनहार पातशाह सराहने-योग्य है वही सदा कायम रहने वाला है।1।
हे मेरे भाईयो! (सदा स्थिर) मालिक प्रभू का सिमरन करो। (दुनिया से) कूच तो सभी ने करना है। दुनिया में माया का आहर चार दिनों के लिए ही है, (हरेक ने ही) यहाँ से आगे (परलोक में) अवश्य चले जाना है। यहाँ से आगे जरूर (हरेक ने) चले जाना है, (यहाँ जगत में) हम मेहमान की तरह ही हैं, (किसी भी धन-पदार्थ आदि का) गुमान करना व्यर्थ है। उस परमात्मा का ही नाम सिमरना चाहिए जिसके सिमरने से परमात्मा की हजूरी में आत्मिक आनंद मिलता है। (जगत में तो धन-पदार्थ वाले का हुकम चल सकता है, पर) परलोक में किसी का भी हुकम बिल्कुल नहीं चल सकता, वहाँ तो हरेक के सिर पर (अपने-अपने) किए अनुसार बीतती है।

हे मेरे भाईयो! (सदा स्थिर) मालिक प्रभू का सिमरन करो। (दुनिया से) सभी ने ही चले जाना है।2।

Hukamnama in English With Meanings

Raag Vaddehans Mehalaa 1 Ghar 5 Alaahaneeaa

Ik Oankaar Sathigur Prasaadh ||

Dhhann Sirandhaa Sachaa Paathisaahu Jin Jag Dhhandhhai Laaeiaa ||

Muhalath Punee Paaee Bharee Jaaneearraa Ghath Chalaaeiaa ||

Jaanee Ghath Chalaaeiaa Likhiaa Aaeiaa Runnae Veer Sabaaeae ||

Kaaneiaa Hans Thheeaa Vaeshhorraa Jaan Dhin Punnae Maeree Maaeae ||

Jaehaa Likhiaa Thaehaa Paaeiaa Jaehaa Purab Kamaaeiaa ||

Dhhann Sirandhaa Sachaa Paathisaahu Jin Jag Dhhandhhai Laaeiaa ||1||

Saahib Simarahu Maerae Bhaaeeho Sabhanaa Eaehu Paeiaanaa ||

Eaethhai Dhhandhhaa Koorraa Chaar Dhihaa Aagai Sarapar Jaanaa ||

Aagai Sarapar Jaanaa Jio Mihamaanaa Kaahae Gaarab Keejai ||

Jith Saeviai Dharageh Sukh Paaeeai Naam Thisai Kaa Leejai ||

Aagai Hukam N Chalai Moolae Sir Sir Kiaa Vihaanaa ||

Saahib Simarihu Maerae Bhaaeeho Sabhanaa Eaehu Paeiaanaa ||2||

Meaning: The person (Prabhu) who has kept the world in the circle of Maya is the only creator who is advisable.  (Because the same) is going to last forever.  (There is no board of living room) When the time of mixing of the organism is over when the cup of its age is filled, the beloved companion of the body is put in front of it.  (At the end of the age) When the written order of God comes, the beloved soul of the body, Jeevatma, is placed in front of it, and all the concerned people cry.  Hey my mother!  When the days of age are complete, then the body and the soul (forever) are lost.  (From that end time) The karma that the creature has earned first (according to that) is written as the article of the rites (on his forehead) gets the same fruit.

 Whoever has put the world in the shadow of Maya, the same creationist husband is praiseworthy, he is going to stand forever. 1.

 Hey my brothers  (Always stand) Follow Lord Prabhu.  Everyone traveled (from the world).  Maya's arrival in the world is only for four days, (each one) must go further from here (in the hereafter).  From here onwards everyone (everyone) has to go away, (here in the world) we are just like guests, to pretend to (any wealth).  Only the name of that God should be simmered, by which we get spiritual pleasure in the presence of God.  (In the world, the ruler of wealth can walk, but) In the world, no one can walk at all, there he passes on his head according to his own.

 Hey my brothers  (Always stand) Follow Lord Prabhu.  Everyone (from the world) has to leave. 2.


https://www.hukamnamaupdate.online

No comments