Ajj Da Hukamnama Sahib Sri Darbar Sahib Amritsar Sahib, Harmandir Sahib Goldentemple, Morning Mukhwak, Date:- 11-08-20, Ang. 541
Hukamnama in Hindi With Meanings
बिहागड़ा महला ५ छंत घरु १ ੴ सतिगुर प्रसादि ॥ हरि का एकु अच्मभउ देखिआ मेरे लाल जीउ जो करे सु धरम निआए राम ॥ हरि रंगु अखाड़ा पाइओनु मेरे लाल जीउ आवणु जाणु सबाए राम ॥ आवणु त जाणा तिनहि कीआ जिनि मेदनि सिरजीआ ॥ इकना मेलि सतिगुरु महलि बुलाए इकि भरमि भूले फिरदिआ ॥ अंतु तेरा तूंहै जाणहि तूं सभ महि रहिआ समाए ॥ सचु कहै नानकु सुणहु संतहु हरि वरतै धरम निआए ॥१॥ {पन्ना 541-542}
पद्अर्थ: अचंभउ = अचंभा, आश्चर्य, तमाशा। लाल = हे प्यारे! धरम निआऐ = धर्म और न्याय के अनुसार। रंगु = रंग भूमि जहाँ नट अपना खेल दिखाते हैं। अखाड़ा = मैदान। पाइओनु = उसने बना दिया है। आवणु जाणु = पैदा होने और मरना। सबाऐ = सारे जीवों को। तिनहि = उस (परमात्मा) ने ही। जिनि = जिस ने। मेदनि = धरती, सृष्टि। सिरजीआ = पैदा की है। मेलि = मिला के। महलि = महल में, हजूरी में। इकि = (‘इक’ का बहुवचन)। भरमि = भटकना में पड़ के। तूं है = तू ही। सचु = अटल नियम। वरतै = कार्य व्यवहार चलाता है।1।
अर्थ: हे मेरे प्यारे! मैंने परमात्मा का एक आश्चर्यजनक तमाशा देखा है कि वह जो कुछ करता है धर्म के अनुसार करता है। हे मेरे प्यारे! (ये जगत) उस परमात्मा ने एक अखाड़ा बना दिया है, एक रंग-भूमि रच दी है जिस में सारे (नटों के लिए, पहलवानों के लिए) पैदा होना मरना (भी नियत कर दिया है)। (जगत में जीवों का) पैदा होना मरना उसी परमात्मा ने बनाया है जिसने ये जगत पैदा किया है। कई जीवों को गुरू मिला के प्रभू अपनी हजूरी में टिका लेता है (ठिकाना दे देता है), और, कई जीव कुर्माग पड़ कर भटकते फिरते हैं।
हे प्रभू! अपने (गुणों का) अंत तू खुद ही जानता है, तू सारी सुष्टि में व्यापक है। हे संत जनो! सुनो, नानक एक अटल नियम बताता है (कि) परमात्मा धर्म अनुसार न्याय के मुताबक दुनिया की कार चला रहा है।1।
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