Darbar sahib Hukamnama 24/07/2020 Amritsar

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Ajj da Hukamnama sahib Sri Darbar sahib Amritsar, Harmandir sahib Goldentemple, Morning Mukhwak, Date. 24/07/20, Ang. 653



Hukamnama & meaning in Hindi

सलोकु मः ४ ॥ गुरमुखि अंतरि सांति है मनि तनि नामि समाइ ॥ नामो चितवै नामु पड़ै नामि रहै लिव लाइ ॥ नामु पदारथु पाइआ चिंता गई बिलाइ ॥ {पन्ना 653}
पद्अर्थ: मनि तनि = मन से शरीर से। नामि = नाम में। नामो = नाम ही। बिलाइ गई = दूर हो गई।
अर्थ: अगर मनुष्य सतिगुरू के सन्मुख है उसके अंदर ठंढ है और वह मन से तन से नाम में लीन रहता है, वह नाम ही चितवता है, नाम ही पढ़ता है और नाम में ही बिरती जोड़े रखता है, नाम (रूपी) सुंदर वस्तु पा के उसकी चिंताएं दूर हो जाती है।
सतिगुरि मिलिऐ नामु ऊपजै तिसना भुख सभ जाइ ॥ नानक नामे रतिआ नामो पलै पाइ ॥१॥ {पन्ना 653}
पद्अर्थ: पलै पाइ = मिलता है।
अर्थ: यदि गुरू मिल जाए तो नाम (हृदय में) अंकुरित होता है, तृष्णा दूर हो जाती है (माया की) सारी भूख दूर हो जाती है। हे नानक! नाम में रंगे जाने के कारण नाम ही (हृदय रूप) पल्ले में उकर जाता है।1।
मः ४ ॥ सतिगुर पुरखि जि मारिआ भ्रमि भ्रमिआ घरु छोडि गइआ ॥ ओसु पिछै वजै फकड़ी मुहु काला आगै भइआ ॥ {पन्ना 653}
अर्थ: जिस मनुष्य को गुरू परमेश्वर ने मारा है (भाव, जिसे रॅब के राह से बिल्कुल ही नफ़रत है) वह भ्रम में भटकता हुआ अपने ठिकाने से हिल जाता है। उसके पीछे लोग फकॅड़ी बजाते हैं और आगे (जहाँ भी जाता है) मुँह कालिख कमाता है।
ओसु अरलु बरलु मुहहु निकलै नित झगू सुटदा मुआ ॥ किआ होवै किसै ही दै कीतै जां धुरि किरतु ओस दा एहो जेहा पइआ ॥ {पन्ना 653}
पद्अर्थ: अरलु बरलु = अनाब शनाब, बकवास। झगू सुटदा = झाग गिराता (भाव, निंदा करता)। किरतु = पिछली की हुई कमाई।
अर्थ: उसके मुँह से निरी बकवास ही निकलती है और वह सदा निंदा करके दुखी होता रहता है। किसी के करने से कुछ होने वाला नहीं है (भाव, कोई उसे सद्बुद्धि नहीं दे सकता), क्योंकि धुर से ही (किए बुरे कर्मों के संस्कारों के तहत अब भी) ऐसी ही (भाव, निंदनीय) कमाई करनी पड़ रही है।
जिथै ओहु जाइ तिथै ओहु झूठा कूड़ु बोले किसै न भावै ॥ वेखहु भाई वडिआई हरि संतहु सुआमी अपुने की जैसा कोई करै तैसा कोई पावै ॥ एहु ब्रहम बीचारु होवै दरि साचै अगो दे जनु नानकु आखि सुणावै ॥२॥ {पन्ना 653}
अर्थ: वह (मनमुख) जहाँ भी जाता है वहीं झूठा होता है, झूठ बोलता है और किसी को अच्छा नहीं लगता। हे संत जनो! प्यारे मालिक प्रभू की महिमा देखो, कि जैसी कोई कमाई करता है, वैसा ही उसे फल मिलता है। ये सच्ची विचार सच्ची दरगाह में होती है, दास नानक पहले ही तुम्हें ये कह के सुना रहा है (ताकि भले बीज बीज के भले फल की आशा की जा सके)।2।
पउड़ी ॥ गुरि सचै बधा थेहु रखवाले गुरि दिते ॥ पूरन होई आस गुर चरणी मन रते ॥ गुरि क्रिपालि बेअंति अवगुण सभि हते ॥ गुरि अपणी किरपा धारि अपणे करि लिते ॥ नानक सद बलिहार जिसु गुर के गुण इते ॥२७॥ {पन्ना 653}
पद्अर्थ: थेहु = सत्संग रूप गाँव। गुरि = गुरू ने। हते = नाश कर दिए। इते = इतने।
अर्थ: सच्चे सतिगुरू ने (सत्संग रूप) गाँव बसाया है, (उस गाँव के लिए सत्संगी) रखवाले भी सतिगुरू ने ही दिए हैं, जिनके मन गुरू के चरणों में जुड़े हैं, उनकी आस पूरी हो गई है (भाव, तृष्णा मिट गई है); दयालु और बेअंत गुरू ने उनके सारे पाप नाश कर दिए हैं; अपनी मेहर करके सतिगुरू ने उनको अपना बना लिया है। हे नानक! मैं सदा उस सतिगुरू से सदके हूँ, जिसमें इतने गुण हैं।27।

Hukamnama & meaning in English

Salok Ma 4 ||
Shalok, Fourth Mehl:

Guramukh Anthar Saanth Hai Man Than Naam Samaae ||
Within the Gurmukh is peace and tranquility; his mind and body are absorbed in the Naam, the Name of the Lord.

Naamo Chithavai Naam Parrai Naam Rehai Liv Laae ||
He contemplates the Naam, he studies the Naam, and he remains lovingly absorbed in the Naam.

Naam Padhaarathh Paaeiaa Chinthaa Gee Bilaae ||
He obtains the treasure of the Naam, and his anxiety is dispelled.

Sathigur Miliai Naam Oopajai Thisanaa Bhukh Sabh Jaae ||
Meeting with the Guru, the Naam wells up, and his thirst and hunger are completely relieved.

Naanak Naamae Rathiaa Naamo Palai Paae ||1||
O Nanak, imbued with the Naam, he gathers in the Naam. ||1||



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