Darbar sahib Hukamnama 15/06/2020 Amritsar

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Ajj Da Hukamnama Sahib Sri Darbar Sahib Amritsar Sahib, Harmandir Sahib Goldentemple, Morning Mukhwak, Date:- 15-06-20, Ang. 546



Hukamnama in Hindi With Meanings

बिहागड़ा महला ५ छंत ॥ अन काए रातड़िआ वाट दुहेली राम ॥ पाप कमावदिआ तेरा कोइ न बेली राम ॥ कोए न बेली होइ तेरा सदा पछोतावहे ॥ गुन गुपाल न जपहि रसना फिरि कदहु से दिह आवहे ॥ तरवर विछुंने नह पात जुड़ते जम मगि गउनु इकेली ॥ बिनवंत नानक बिनु नाम हरि के सदा फिरत दुहेली ॥१॥
पद्अर्थ: अनक = अणक, तुच्छ, बहुत छोटी। अनकाऐ = तुच्छ पदार्थों में। रातड़िआ = हे रते हुए! मस्त होए हुए। वाट = (जीवन का) रास्ता। दुहेली = दुखों भरी। कमावदिआ = हे कमाने वाले! बेली = साथी। पछोतावहे = तू पछताता रहेगा। न जपहि = तू नहीं जपता। रसना = जीभ (से)। से दिह = ये दिन (बहुवचन)। आवहे = आएंगे। पात = पत्र। तरवर = वृक्ष। मगि = रास्ते पर। गउनु = गमन, चाल।7।
अर्थ: हे तुच्छ पदार्थों (के मोह) में रते हुए मनुष्य! (इस मोह के कारण) तेरा जीवन-पथ दुखों से भरता जा रहा है। हे पाप कमाने वाले! तेरा कोई भी (सदा के लिए) साथी नहीं। (किए पापों की सजा में भागीदारी के लिए) तेरा कोई भी साथी नहीं बनेगा, तू सदा हाथ मलता रह जाएगा। तू अपनी जीभ से सुष्टि के मालिक प्रभू के गुण नहीं जपता, जिंदगी के ये दिन फिर कभी वापिस नहीं आएंगे (जैसे) वृक्षों से बिछुड़े हुए पत्ते (दुबारा पेड़ों से) नहीं जुड़ सकते। (किए पापों के कारण मनुष्य के प्राण) आत्मिक मौत के रास्ते पर अकेले ही चलते जाते हैं। नानक विनती करता है– परमात्मा का नाम सिमरे बिना मनुष्य के प्राण हमेशा दुखों से घिरे हुए भटकते रहते हैं।1।
तूं वलवंच लूकि करहि सभ जाणै जाणी राम ॥ लेखा धरम भइआ तिल पीड़े घाणी राम ॥ किरत कमाणे दुख सहु पराणी अनिक जोनि भ्रमाइआ ॥ महा मोहनी संगि राता रतन जनमु गवाइआ ॥ इकसु हरि के नाम बाझहु आन काज सिआणी ॥ बिनवंत नानक लेखु लिखिआ भरमि मोहि लुभाणी ॥२॥ {पन्ना 546}
पद्अर्थ: वलवंच = बल छल, छल कपट। लूकि = छुप के। जाणी = अंतजामी प्रभू। तिल घाणी = तिलों की घाणी (की तरह)। पीढ़े = कोल्हू में पीढ़े जाते हैं। किरत = किए हुए। कमाणे = कमाए हुए। पराणी = हे प्राणी! संगि = साथ। राता = मस्त। आन रस = और कामों में। भरमि = भटकना में। मोहि = मोह में। लुभाणी = फसी हुई।2।
अर्थ: (हे प्राणी!) तू (लोगों से) छुप-छुप के छल-कपट करता रहता है, पर अंतजामी परमात्मा तेरी हरेक करतूत को जानता है। जब धर्मराज का हिसाब होता है तो (बुरे कर्म करने वाले इस तरह) पीढ़े जाते हैं जैसे तिल (घाणी में) पीढ़ा जाता है। हे प्राणी! अपने किए कमाए कर्मों के अनुसार तू भी दुख बर्दाश्त कर। (मंद-कर्मी जीव) को अनेकों जूनियों में घुमाया जाता है। जो मनुष्य सदा इस बड़ी मोह लेने वाली माया के साथ ही मस्त रहता है वह श्रेष्ठ मानस जनम गवा लेता है। नानक विनती करता है– (हे जीवात्मा!) एक परमात्मा के नाम के बगैर तू अन्य सारे कामों में समझदार (बनी फिरती है। तेरे माथे पर माया के मोह का ही) लेख लिखा जा रहा है (तभी तो तू) माया की भटकना में माया के मोह में फसी रहती है।2।

Hukamnama in English With Meanings

Bihaagarraa Mehalaa 5 Shhanth ||

An Kaaeae Raatharriaa Vaatt Dhuhaelee Raam ||

Paap Kamaavadhiaa Thaeraa Koe N Baelee Raam ||

Koeae N Baelee Hoe Thaeraa Sadhaa Pashhothaavehae ||

Gun Gupaal N Japehi Rasanaa Fir Kadhahu Sae Dhih Aavehae ||

Tharavar Vishhunnae Neh Paath Jurrathae Jam Mag Goun Eikaelee ||

Binavanth Naanak Bin Naam Har Kae Sadhaa Firath Dhuhaelee ||1||

Thoon Valavanch Look Karehi Sabh Jaanai Jaanee Raam ||

Laekhaa Dhharam Bhaeiaa Thil Peerrae Ghaanee Raam ||

Kirath Kamaanae Dhukh Sahu Paraanee Anik Jon Bhramaaeiaa ||

Mehaa Mohanee Sang Raathaa Rathan Janam Gavaaeiaa ||

Eikas Har Kae Naam Baajhahu Aan Kaaj Siaanee ||

Binavanth Naanak Laekh Likhiaa Bharam Mohi Lubhaanee ||2||

Meaning: O humans riddled with insignificant things  (Because of this fascination) Your life-path is being filled with sorrows.  O sinners!  Nobody is your companion (forever).  (For participation in the punishment of sins committed), none of your companions will be made, you will always be rubbing hands.  You do not chant the virtue of Lord Prabhu, the master of goodness, with your tongue, these days of life will never come back (like) leaves separated from trees (again from trees).  (Human beings due to sins committed) go on the path of spiritual death all alone.  Nanak begs - Without the name of God, the soul of man always wanders surrounded by sorrows. 1.


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