Hukamnama sahib 20/04/2020 From sri Darbar sahib Amritsar

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Ajj Da Hukamnama Sahib Sri Darbar Sahib Amritsar Sahib, Harmandir Sahib Goldentemple, Morning Mukhwak, Date:- 20-04-20, Ang. 931




Hukamnama in Hindi With Meanings

लाज मरंती मरि गई घूघटु खोलि चली ॥ सासु दिवानी बावरी सिर ते संक टली ॥ प्रेमि बुलाई रली सिउ मन महि सबदु अनंदु ॥ लालि रती लाली भई गुरमुखि भई निचिंदु ॥१२॥ {पन्ना 931}
पद्अर्थ: लाज = लज्जा। लाज मरंती = लोक लाज में मरने वाली, हर वक्त दुनिया में लोक लाज का ख्याल रखने वाली (बुद्धि)। मरि गई = मर जाती है। घूघटु खोलि = घूंघट खोल के, लोक लाज का घूंघट उतार के। चली = चलती है। सासु = सास, माया। बावरी = कमली। सिर ते = सिर पर से। संक = शंका, सहम। टली = टल जाता है, हट जाता है। प्रेमि = प्यार से। रली सिउ = चाव से। बुलाई = बुलाई जाती है, पति प्रभू बुलाता है। लालि = लाल में, प्रीतम पति में। रती = रंगी हुई। लाली भई = (मुँह पर) लाली चढ़ आती है। गुरमुखि = वह जीव स्त्री जो गुरू की शरण आती है। निचिंदु = चिंता रहित।
अर्थ: (हे पांडे!) जो जीव-स्त्री गुरू की शरण आती है उसको दुनियावी कोई भी चिंता नहीं सता सकती, प्रीतम पति (के प्रेम) में रंगी हुई के मुँह पर लाली आ जाती है। उसको प्रभू-पति प्यार और चाव से बुलाता है (भाव, अपनी याद की कशिश बख्शता है), उसके मन में (सतिगुरू का) शबद (आ बसता है, उसके मन में) आनंद (टिका रहता) है। (गुरू की शरण पड़ कर) दुनियावी लोक-लाज का हमेशा ध्यान रखने वाली (उसकी पहले वाली बुद्धि) खत्म हो जाती है, अब वह लोक-लाज का घूंघट उतार के चलती है; (जिस माया ने उसको पति-प्रभू में जुड़ने से रोका था, उस) झल्ली कमली माया का सहम उसके सिर पर से हट जाता है।12।

लाहा नामु रतनु जपि सारु ॥ लबु लोभु बुरा अहंकारु ॥ लाड़ी चाड़ी लाइतबारु ॥ मनमुखु अंधा मुगधु गवारु ॥ लाहे कारणि आइआ जगि ॥ होइ मजूरु गइआ ठगाइ ठगि ॥ लाहा नामु पूंजी वेसाहु ॥ नानक सची पति सचा पातिसाहु ॥१३॥
पद्अर्थ: जपि = (हे पांडे!) याद कर। लाहा = लाभ, कमाई। नामु रतनु = परमात्मा का नाम जो दुनिया के सारे पदार्थों से ज्यादा कीमती है। सारु = सार नाम, श्रेष्ठ नाम। बुरा = खराब, उपद्रवी। लाड़ी चाढ़ी = उतारने की बात और चढ़ाने की बात, निंदा और खुशामद। लाइतबार = ला+ऐतबार, वह ढंग जिससे किसी का ऐतबार गवाया जा सके, चुगली। मन मुखु = वह व्यक्ति जिसका रुख अपने मन की ओर है, मन मर्जी का व्यक्ति। मुगधु = मूर्ख। कारणि = वास्ते। जगि = जग में। होइ = बन के। गइआ ठगाइ = ठगा के गया, बाजी हार के गया। ठगि = ठॅग से, मोह के। वेसाहु = श्रद्धा। सची = सदा टिकी रहने वाली। पति = इज्जत।
अर्थ: (हे पांडे! परमात्मा का) श्रेष्ठ नाम जप, श्रेष्ठ नाम ही असल लाभ-कमाई है। जीभ का चस्का, माया का लालच, अहंकार, निंदा, खुशामद, चुगली- ये हरेक काम गलत है (बुरा है)। जो मनुष्य (परमात्मा का सिमरन छोड़ के) अपने मन के पीछे चलता है (और लब-लोभ आदि करता है) वह मूर्ख, मूढ़ और अंधा है (भाव, उसको जीवन का सही रास्ता नहीं दिखता)।
जीव जगत में कुछ कमाने की खातिर आता है, पर (माया का) चाकर बन के मोह के हाथों जीवन-खेल हार के जाता है। हे नानक! जो मनुष्य श्रद्धा को राशि पूँजी बनाता है और (इस पूँजी से) परमात्मा का नाम खरीदता-कमाता है, उसको सदा-स्थिर पातशाह सदा टिकी रहने वाली इज्जत बख्शता है।13।
नोट: पौड़ी नंबर 12 और 13 'ल' अक्षर से आरम्भ होती हैं। ये अक्षर संस्कृत के अक्षर 'ल्रि' और 'ल्री' हैं। ये अक्षर 'स्वर' ही गिने जाते हैं।

Hukamnama in English With Meanings

Laaj Maranthee Mar Gee Ghooghatt Khol Chalee ||

Saas Dhivaanee Baavaree Sir Thae Sank Ttalee ||

Praem Bulaaee Ralee Sio Man Mehi Sabadh Anandh ||

Laal Rathee Laalee Bhee Guramukh Bhee Nichindh ||12||

Laahaa Naam Rathan Jap Saar ||

Lab Lobh Buraa Ahankaar ||

Laarree Chaarree Laaeithabaar ||

Manamukh Andhhaa Mugadhh Gavaar ||

Laahae Kaaran Aaeiaa Jag ||

Hoe Majoor Gaeiaa Thagaae Thag ||

Laahaa Naam Poonjee Vaesaahu ||


Naanak Sachee Path Sachaa Paathisaahu ||13||

Meaning: (O Pandey!) The worldly woman who comes to the Guru cannot be bothered by any worldly concern, redness comes on the face of the colored one in Pritam's husband's (love).  She is called by the Lord-Husband with love and fervor (sentiment, sparing her memories), in her mind (of Satiguru) Shabad (settles, in her mind) is bliss (rests).  (Taking refuge in the Guru) The world folk-lazer who always cares (his earlier intellect) is over, now he takes off the veil of folk-laziness;  (The Maya who prevented her from joining the husband-lord)
Meaning: Chanting the best name (O Pandey! Of God), the best name is real profit and earning.  Tongue, Maya's greed, arrogance, condemnation, good luck, chewing - everything is wrong (bad).  A man who (leaving the simmering of God) walks in the back of his mind (and indulges in greed, etc.) is foolish, foolish and blind (sentiment, he does not see the right way of life).


 Life comes for the sake of earning something in the world, but (Maya's) life becomes lost in the hands of temptation.  Hey Nanak!  A person who earns trust and earns (from this capital) the name of God and earns him a perpetual patron, a perpetual honor. 13.



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