Hukamnama sahib 19/04/2020 From sri Darbar sahib Smritsar

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Ajj Da Hukamnama Sahib Sri Darbar Sahib Amritsar Sahib, Harmandir Sahib Goldentemple, Morning Mukhwak, Date:- 19-04-20, Ang. 515



Hukamnama in Hindi With Meanings

सलोकु मः ३ ॥ वाहु वाहु से जन सदा करहि जिन्ह कउ आपे देइ बुझाइ ॥ वाहु वाहु करतिआ मनु निरमलु होवै हउमै विचहु जाइ ॥ वाहु वाहु गुरसिखु जो नित करे सो मन चिंदिआ फलु पाइ ॥ वाहु वाहु करहि से जन सोहणे हरि तिन्ह कै संगि मिलाइ ॥ वाहु वाहु हिरदै उचरा मुखहु भी वाहु वाहु करेउ ॥ नानक वाहु वाहु जो करहि हउ तनु मनु तिन्ह कउ देउ ॥१॥ {पन्ना 515}
अर्थ: जिन मनुष्यों को प्रभू स्वयं ही सुमति बख्शता है वे सदा प्रभू की सिफत सालाह करते हैं। प्रभू की सिफत सालाह करने से मन पवित्र होता है और मन में से अहंकार दूर होता है। जो भी मनुष्य गुरू के सन्मुख हो के प्रभू की सिफत सालाह करता है, उसे मन-इच्छित फल मिलता है। जो मनुष्य सिफत सालाह करते हैं वह (देखने में भी) सुंदर लगते हैं। हे प्रभू! मुझे उनकी संगति में रख, ता कि मैं अपने हृदय में तेरी सिफत करूँ और मुंह से भी तेरे गुण गाऊँ। हे नानक! जो मनुष्य प्रभू की सिफत सालाह करते हैं, मैं अपना तन-मन उनके आगे भेट कर दूँ।1।

मः ३ ॥ वाहु वाहु साहिबु सचु है अम्रितु जा का नाउ ॥ जिनि सेविआ तिनि फलु पाइआ हउ तिन बलिहारै जाउ ॥ वाहु वाहु गुणी निधानु है जिस नो देइ सु खाइ ॥ वाहु वाहु जलि थलि भरपूरु है गुरमुखि पाइआ जाइ ॥ वाहु वाहु गुरसिख नित सभ करहु गुर पूरे वाहु वाहु भावै ॥ नानक वाहु वाहु जो मनि चिति करे तिसु जमकंकरु नेड़ि न आवै ॥२॥ 
अर्थ: जिस मालिक प्रभू का नाम (जीवों को) आत्मिक बल देने वाला है उसकी सिफत सालाह उसी सदा-स्थिर रहने वाले प्रभू का स्वरूप है। जिस जिस मनुष्य ने प्रभू को सिमरा है उस उस ने (नाम अमृत) फल प्राप्त कर लिया है, मैं ऐसे गुरमुखों से सदके हूँ। गुणों के खजाने प्रभू की सिफत उसका ही रूप है। प्रभू जिसको ये खजाना बख्शता है वही इसको बरतता है। सिफत का मालिक प्रभू पानी में धरती पर हर जगह व्यापक है, गुरू के राह पर चलते हुए वह प्रभू मिलता है। हे गुर-सिखो! सारे सदा प्रभू के गुण गाओ, पूरे गुरू को प्रभू की सिफत सालाह मीठी लगती है। हे नानक! जो मनुष्य एक मन हो के सिफत सालाह करता है उसको मौत का डर नहीं हो सकता।2।
पउड़ी ॥ हरि जीउ सचा सचु है सची गुरबाणी ॥ सतिगुर ते सचु पछाणीऐ सचि सहजि समाणी ॥ अनदिनु जागहि ना सवहि जागत रैणि विहाणी ॥ गुरमती हरि रसु चाखिआ से पुंन पराणी ॥ बिनु गुर किनै न पाइओ पचि मुए अजाणी ॥१७॥ {पन्ना 515}
अर्थ: प्रभू सदा-स्थिर रहने वाला है, गुरू की बाणी उस सदा-स्थिर प्रभू की सिफत सालाह में है, गुरू के द्वारा उस प्रभू से जान-पहिचान बनती है और सदा-स्थिर अडोल अवस्था में टिक सकते हैं। वह मनुष्य भाग्यशाली हैं जिन्होंने गुरू के राह पर चल कर प्रभू के नाम का रस चखा है, वे हर समय सुचेत रहते हैं, (माया के मोह में) नहीं सोते, उनकी जिंदगी-रूपी सारी रात सुचेत रह के गुजरती है। पर, गुरू की शरण आए बिना किसी को प्रभू नहीं मिला, अंजान लोग (माया के मोह में) खप-खप के दुखी होते हैं।17।

Hukamnama in English With Meanings

Salok Ma 3 ||

Vaahu Vaahu Sae Jan Sadhaa Karehi Jinh Ko Aapae Dhaee Bujhaae ||

Vaahu Vaahu Karathiaa Man Niramal Hovai Houmai Vichahu Jaae ||

Vaahu Vaahu Gurasikh Jo Nith Karae So Man Chindhiaa Fal Paae ||

Vaahu Vaahu Karehi Sae Jan Sohanae Har Thinh Kai Sang Milaae ||

Vaahu Vaahu Hiradhai Oucharaa Mukhahu Bhee Vaahu Vaahu Karaeo ||

Naanak Vaahu Vaahu Jo Karehi Ho Than Man Thinh Ko Dhaeo ||1||

Ma 3 ||

Vaahu Vaahu Saahib Sach Hai Anmrith Jaa Kaa Naao ||

Jin Saeviaa Thin Fal Paaeiaa Ho Thin Balihaarai Jaao ||

Vaahu Vaahu Gunee Nidhhaan Hai Jis No Dhaee S Khaae ||

Vaahu Vaahu Jal Thhal Bharapoor Hai Guramukh Paaeiaa Jaae ||

Vaahu Vaahu Gurasikh Nith Sabh Karahu Gur Poorae Vaahu Vaahu Bhaavai ||


Naanak Vaahu Vaahu Jo Man Chith Karae This Jamakankar Naerr N Aavai ||2||

Meaning: Human beings, who themselves are spared by God, always pray for God.  By praying to God, the mind is pure and ego is removed from the mind.  Any person who is devoted to the Guru, who has the support of the Lord, gets the desired result.  Those who do salaf salah (even in view) are beautiful.  Hey god  Keep me in their company, so that I may support you in my heart and sing your qualities with my mouth as well.  Hey Nanak!  Those who pray for the Lord, I should offer my body and mind to them.



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