Hukamnama sahib 29/03/2020 from sri Darbar sahib Amritsar

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Ajj Da Hukamnama Sahib Sri Darbar Sahib Amritsar Sahib, Harmandir Sahib Goldentemple, Morning Mukhwak, Date:- 29-03-20, Ang. 





Hukamnama in Hindi With Meanings

जो जनु भाउ भगति कछु जानै ता कउ अचरजु काहो ॥ जिउ जलु जल महि पैसि न निकसै तिउ ढुरि मिलिओ जुलाहो ॥१॥ हरि के लोगा मै तउ मति का भोरा ॥ जउ तनु कासी तजहि कबीरा रमईऐ कहा निहोरा ॥१॥ रहाउ ॥ कहतु कबीरु सुनहु रे लोई भरमि न भूलहु कोई ॥ किआ कासी किआ ऊखरु मगहरु रामु रिदै जउ होई ॥२॥३॥ {पन्ना 692}
पद्अर्थ: जानै = सांझ रखता है। ता कउ = उस वास्ते। काहो अचरजु = कौन सा अनोखा काम? कोई बड़ी अनोखी बात नहीं। पैसि = पड़ के। ढुरि = ढल के, नर्म हो के, स्वै भाव गवा के।1।
भोरा = भोला। तउ = तो। तजहि = त्याग दे। कबीरा = हे कबीर! निहोरा = अहसान, उपकार।1। रहाउ।
रे लोई = हे लोगो! हे जगत! (शब्द ‘रे’ पुलिंग है, इसका स्त्रीलिंग ‘री’ है। सो कबीर जी यहाँ अपनी पत्नी ‘लोई’ के लिए नहीं कह रहे)। ऊखरु = कलॅर। मगहरु = एक जगह का नाम, ये गाँव उक्तर प्रदेश में जिला बस्ती में है। हिंदू लोगों का ख्याल है कि इस जगह को शिव जी ने श्राप दिया था, इसलिए यहाँ मरने से मुक्ति नहीं मिल सकती।2।

अर्थ: जैसे पानी, पानी में मिल के (दोबारा) अलग नहीं हो सकता, वैसे (कबीर) जुलाहा (भी) स्वै भाव मिटा के परमात्मा में मिल गया है। इस में कोई अनोखी बात नहीं है, जो भी मनुष्य प्रभू-प्रेम और प्रभू-भक्ति से सांझ बनाता है (उसका प्रभू के साथ एक हो जाना कोई बड़ी बात नहीं है)।1।
हे संत जनो! (लोगों के लिए तो) मैं दिमाग का पागल ही सही (भाव, लोग मुझे भले ही मूर्ख कहें कि मैं काशी छोड़ के मगहर आ गया हूँ)। (पर,) हे कबीर! अगर तू काशी में (रहते हुए) शरीर त्यागे (और मुक्ति मिल जाए) तो इसमें परमात्मा का क्या उपकार समझा जाएगा? क्योंकि काशी में तो वैसे ही इन लोगों के ख्याल के मुताबिक मरने पर मुक्ति मिल जाती है, तो फिर सिमरने से क्या लाभ?।1। रहाउ।
(पर) कबीर कहता है– हे लोगो! सुनो, कोई मनुष्य किसी भुलेखे में ना पड़ जाए (कि काशी में मुक्ति मिलती है, और मगहर में नहीं मिलती), अगर परमात्मा (का नाम) हृदय में हो, तो काशी क्या और कलराठा मगहर क्या? (दोनों तरफ प्रभू में लीन हुआ जा सकता है)।2।3।

Hukamnama in English With Meanings




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